M.Mubin's Hindi Novel on Background of Gujrat Riot Part 6

गुजरात दंगो की पृष्ट भूमि पर एक रोमान्टिक उपन्यास
अलाव
लेखकः-ःएम.मुबीन
Part 6
दूसरे दिन सीफ़ अलदीन की गरफ़तारी की ख़बरीं नमएां अनदाज़ मैं थीं ख़बरीं कुछ उस अनदाज़ से शाा हुई थीं कि जो पड़ता था दिनग रह जाता था
नोटया गांव से पाकिस्तानी एजनट गरफ़तार। । । पाकिस्तान के ख़फ़ीह एजनसी आई एस आई के सब से ख़तरनाक एजनट सीफ़ अलदीन को पोलीस ने उस के ۱۰ साथयों के साथ गरफ़तार क्या। । । बी जे पी और बजरंग दिल के सदर पर क़ातलानह हमलह करने वाली पाकिस्तानी एजनट की गरफ़तारी। । । गरफ़तार शदह पाकिस्तानी एजनट की सालों से पाकिस्तान की ख़फ़ीह एजनसी के लिए काम कर रहा है और मुल्क दुश्मन सरगरमयों मैं मलोस है उस ने ममबी के तरज़ पर गुजरात के मख़तलफ़ शहरों मैं बम धमाके करने की मनसोबह बन रखा था उस के अलओह मुल्क की फ़ोजी नवाईत की तनसीबात को नशानह बनाने का पलान बनाया था ममकन है तलाश मैं उस के होटल से ख़तरनाक हथयार और गोलह बारोद बरआमद हो। । । सीफ़ अलदीन ने नोटया गांव को मुल्क दुश्मन सरगरमयों का अडा बन रखा था उसके और भी साथी उस वक़्त गांव मैं मौजूद है अगर उन की गरफ़तारी जिल्द अमल मैं नहीं आई तो यह मुल्क के लिए ख़तरह साबत हो सकती है ममकन है नोटया के घरों की तलाशी की जाए तो उन घरों से महलक हथयार बरआमद हो। सीफ़ अलदीन और उस के साथयों पर पोटा लगा कर उस पर खली अदालत मैं मक़दमह चलएा जाए। ‘‘
उस के हाथों ज़ख़मी होने वाली गांव के हर दिल अज़ीज़ लीडर बी जे पी के रहनमा और बजरंग दिल के सदर अमित भाई पटेल की हालत बुद सतोर तशवीशनाक है डाकटरों ने अब भी अनीं ख़तरे से बाहर क़रार नहीं दिया है ‘‘
उसे तो गुजराती पड़नी नहीं आती थी लेकिन लोग आ कर उसे अख़बारात की ख़बरीं सनाते थे ओ र उस की दुकान पर खड़े हो कर तबसरह करते थे। जहां तक वह सीफ़ अलदीन को जानता था वह एक सीधा साधा अ नसान था उस का पालीटकस गुण्डा गरदी या मुल्क दुश्मन सरगरमयों से दूर का भी वासतह नहीं था लेकिन तमाम अहम गुजराती अख़बारात ने उस के ख़लाफ़ एक से अलज़ामात लगा कर उसे मुल्क का सब से बड़ा दुश्मन और गुण्डा क़रार दे दिया था और जिस अमित की हालत तशवीशनाक बताई गई थी वह दिनदनाता गांव मैं घोम रहा था उसलीत तो वह और नोटया गांव के लोग जानते थे। जो लोग अख़बारात मैं यह ख़बरीं पड़ीं गए वह तो सच समझीं गए और सीफ़ अलदीन को पाकिस्तानी एजनट मलक दुश्मन बहुत बड़ा गुण्डा ही समझीं गए। जो नोटया गांव मैं मुल्क दुश्मन सरगरमयां चला रहा था बातों मैं कतनी सचाई है वह जानता था । । हर कोई जानता था लेकिन कौन उस के ख़लाफ़ आवाज़ उठा कर सचाई बयान कर सकता था
उसे पंजाब मैं दहशत गरदी का ज़मानह याद आया। उसी तरह की ख़बरीं उस वक़्त भी अख़बारात की ज़ीनत बन करती थी। पोलीस ने ज़ाती दशमनी से किसी मासोम को गोली मर दी भी तो उस मासोम को बहुत बड़ा दहशत गरद क़रार दिया जाता था और अख़बारात मैं एक बे गनाह कीपोलीस के हाथों मौत की ख़बर के बजाए एक दहशत गरद के अनकानटर की ख़बरीं आती थीं । दो पड़ोसी अगर लड़ते तो उस मैं एक को दहशत गरद क़रार दे कर उसे अख़बारों की सरख़यों की ज़ीनत बनादया जाता था गांव मैं एक मामोली वाक़ाह होता तो उसे दहशत गरदी की अीनक से देख कर उसे मुल्क का सब से बड़ा वाक़ाह बन दिया जाता था
उसे लगा दहशत गरदी की ज़हनीत हर जगह काम कर रही है जो कुछ पंजाब मैं हुआ था अब गुजरात मैं हो रहा है खलाड़ी रही है । । मैदान बदल गए हैं । । । खील वही है । । खील के टारगेट बदल गए हैं ।
सवीरे मधू कालेज जाते हुए उस से मल कर गई थी। एक दो बार उस का फ़ोन आया था उस न कह दिया था कि गांव मैं है कोई वाक़ाह हुआ है सब अपने अपने कामों मैं लगए हैं । ۱۰ बजे पोलीस की बहुत बड़ी गांव पहनची। और उस ने पूरे मसलम मोहल्ले को घीर लिया और हर घर की तलाशी लीने लगई। उसे पता चला कि जावेद के अनसटी टयोट की भी तलाशी की जा रही है तो वह वहां पहूंच गया।
आप शौक़ से पूरे अनसटी टयोट की तलाशी लीजये अनसपकटर साहब । जावेद एक अनसपकटर से कह रहा था यह तालीम का घर है यहां बच्चों को तालीम दी जाती है मास पकड़ना सखाया जाता है बनदोक़ या पसतोल पकड़ना नहीं । ‘‘
हम समझते हैं मसटर जावेद लेकिन हम मजबोर हैं । अख़बारात ने उस वाक़ाह को इतना अछाला है और ऐसी ऐसी ख़बरीं छाप दी हैं कि हम पर ओपर से दबा आया है कि हम बता नहीं सकते। हमैं यह सब करना पड़ेगा। अनसपकटर ने जवाब दया। ‘‘
दो तीन घण्टे मैं ख़ानह तलाशी खतुम होगई। पोलीस को घरों से छरी चाक़ो ، लकड़यां लाठयां जो कुछ मला जबत कर के ले गए। और साथ मैं ۱۰ ،۱۲ लोगों को भी गरफ़तार कर के ले गई।
जावेद भाई यह क्या हो रहा है ‘‘ उस ने पोछा।
वही जो सारी दुनिया मैं हो रहा है दहशत गरदी के नाम पर दहशत गरदी। झोटे परचार के सहारे दहशत गरदी फीलाई जा रही है और मासोम लोगों को नशानह बनाया जा रहा है ‘‘ जावेद मएोसी भरे लहजे मैं बोला। अनसानों के जिम्मीर मरदह हो गए हैं । सचाई एमानदरए अख़लास यह किसी को फ़रक़ह परसती के अला मैं जला कर ख़ाक कर दिया गया है और उस अला से जो शाले भड़क रहे हैं जो आग दहक रही है वह माहोल मैं फ़रक़ह परसती नफ़रत हसद बग़ज कीनह की गरमी फीला रही है ‘‘
जावेद भाई जो अला जलएा गया है अगर उस की आग पर काबू नहीं पएा गया तो यह आग न सिर्फ़ हमारे गांव को बलकह आस पास के सारे इलाके को जला कर ख़ाक कर दीं गए। ‘‘
’’ न हम ने वह अला भड़ का या है और न हम मैं उसे बझाने की ताक़त है उसे भड़कएा है क़रफ़ह परसत क़ोमों ने क़रफ़ह परसत सयासत दानों ने और वह उस आग मैं मासोमों ، बे गनाहूं को झोनक कर अपने मफ़ाद की रोटयां सीकीं गए। जावेद मएोसी से बोला।
जावेद के पास से वह हो चला आया। और दुकान पर बैठ कर मधू के फ़ोन का इन्तज़ार करने लगा। मधू आए तो उस ने आँखों से घर चलने के लिए कहा। वह अपने कमरे मैं आया। मधू उस से गांव की हालत पूछने लगई। उस ने सारी तफ़सीलात बताई।
’’ हां मैं ने भी अख़बारात की ख़बरीं पडे हैं । और मैं खुद हीरान हूं कि उस माामले को किस तरह रंग दिया गया है वह कमीनह अमित इतना ज़लील हो गा मैं ने सोचा भी नहीं था वह अपने अना के लिए हज़ारों बे गनाहूं को अज़ीत दीना अपनी चाहता है समझता है मधू दाँत पीस कर बोली।
एक दो बातीं कर के वह चली गई। यह कह कर अगर गांव मैं ऐसी वीसी बात हुई तो उसे ख़बर करे गई। उस के जाने के बाद जब वह दुकान पर आया तो रघो ने उसे टोका। क्यों सीठ जी माामलह पट गया ‘‘
कीसा माामलह ؟‘‘
दल का माामलह। । । लगए रहो। । । परदीस मैं दिल बहलाने के लिए कोई ज़रयाह भी तो चाहये आप भी आख़र अपने चाचा के भतीजे हैं । आप के चाचा भी आप की तरह रनगईले थे। ‘‘
रनगईले वह रघो को घोर ने लगा।
अरे भाई आदमी घर बार बयवी बच्चों से हज़ारों मील दूर महीनों तक रहता है तो जिन्दा रहने के लिए रनगईला बन कर रहेगा या सनयासी बन कर। । । आ के चाचा ने भी की अोरतों से दिल का माामलह जमा रखा था ‘‘
की अोरतों से ؟‘‘ वह हैरत से रघो को देखने लगा।
अं उन का माामलह की अोरतों से था वह उन अोरतों से अपनी ज़रूरत पोरी करता था और वह अोरतीं उस से अपनी जिसमानी होस। ‘‘
यह बातीं सुन कर वह सोच मैं पड़ गया। आज उसे अपने चाचा का एक नया रोप मालूम पड़ा था लेकिन उसे अपने चाचा से कोई शकएत नहीं थी। बीचारा सालों तक चाची से दूर रहता था दिल बहलाने के लिए अपनी ज़रूरत पोरी करने के लिए माामलों मैं अलझे गा नहीं तो और क्या करेगा। लेकिन उस का माामलह थोड़ा मख़तलफ़ था उस के और मधू के तालक़ात को चाचा का सा माामलह नहीं कहा जा सकता था वह मधू को अपने दिल की गहराई से चाहता था मधू भी उसे अपने दिल की गहराई से चाहती थी। उस के ज़हन मैं जनसी तालक़ात के ख़याल भी नहीं आया था अभी तक तो उस ने मधू को छवा भी नहीं था न मधू किसी ग़लत नीत से उस के क़रीब आई थी। एक दयवानगई थी। दोनों का दिल चाहता था बस वह एक दूसरे से बातीं करते रहे। एक दूसरे के पास बैठे एक दूसरे को देखते रहे। वह जिन्दगई भर के लिए एक दूसरे के हो जाना चाहते थे। लेकिन दोनों का माामलह बड़ा टीड़ा था उसे पता था अगर उन के तालक़ात का अलम मधू के घर वालों को हुआ तो आग लग जाए गई। अगर अमित को मालूम हुआ तो उस के टुकड़े टुकड़े करने के दरपे हो जाएगा।
वह मधू को चाहता था मधू को अपनी मलकीत समझता था और उस की मलकीत पर कोई हक़ जताे। उसे लग रहा था एक दूसरे को पाने के लिए अनीं की एसे क़दम उठाने पड़ीं गए जो उन के लिए कानटों भरा रासतह साबत हो सकते हैं । अनगारों से भरी राहूं पर चलना हो गा। वह तो उन सब बातों के लिए तयारथा। लेकिन क्या मधू उन तकलीफ़ों को सहह पाे गई। उस ने उस सलसले मैं मधू से बात नहीं की थी। उस का एक दिल कहता उसे मधू से उस सलसले मैं साफ़ साफ़ बात कर लीनी चाहये। तो दूसरा दिल कहता उसे उस सलसले मैं मधू से बात करने की कोई ज़रूरत नहीं । सचे अाशक़ प्यार करने वाली ज़मानह का सामना करते हुए हर क़िस्म का अमतहान दीने तयार रहते हैं । उसे पवार यक़ीन था मधू उस की तरह हर अमतहान मैं पोरी उतरे गई।
दूसरे दिन जब मधू कालेज जाने लगई तो वह भी उस के साथ बस मैं बैठ कर शहर आया। आज वह मधू से दिल खोल कर सारी बातीं कर लेना चाहता था उस के अरादों को समझ कर उस के जज़बात ، अहसासात की क़दर करते हुए मधू ने उस दिन कालेज जाने का अरादह तरक कर दया।
क्या बात है आज उस तरह मेरे साथ शहर क्यों चले आए ؟‘‘ मधू ने पोछा।
मधू की ऐसी बातीं हैं जनीं सोच सोच कर मैं सारी रात नहीं सौ सका। ‘‘
ऐसी कौन सी बातीं थे जनों ने हमारे सयां की नीनद हराम कर दी। मधू ने उसे छीड़ा।
मज़ाक़ मत अड़ा। । । मैं सनजीदह हूं । । । सौ फ़ीसद सनजीदह तुम भी सनजीदह हो जा। यह हमारी जिन्दगई का सवाल है ‘‘
उसे सनजीदह देख कर मधू भी सनजीदह होगई। तुम मुझ से प्यार करती हो उस ने पोछा।
यह भी कोई पूछने वाली बात है ‘‘
मैं भी तुम से प्यार करता हूं तुमहारे अलओह मेरे लिए दुनिया की किसी भी ग़ीर औरत का तसोर भी हराम है ‘‘
मैं भी सिर्फ़ तुम्हें ओरतुम्हें चाहती हूं । अब तो मैं किसी ग़ीर आदमी के बारे मैं सोच भी नहीं सकती। ‘‘
जिन्दगई भर मेरी बन कर रहोगई ؟‘‘
मैं तो चाहती हूं के मौत के बाद भी तुमहारे साथ रहूं । सातों जनम तक तुमहारे साथ रहूं । ‘‘
मुझ से शादी करो गई
यह भी कोई पूछने वाली बात। ‘‘
क्या तुमहारे घर बरादरी वाली हमारी शादी के लिए तयार हो जाईं गए। ‘‘
यह ज़रा टीड़ा मसलह है मधू सनजीदह होगई। मेरे घर वाली उस शादी के लिए कभी तयार नहीं हूं गए। और बरादरी वालों को अगर हमारे तालक़ात का पता चला तो वह ऐसी आग लगाईं गए कि उस मैं हमारा खानदान का सब कुछ जाल कर ख़ाक हो जाएगा। ‘‘
मेरे घर वालों को हमारी शादी पर कोई अातराज नहीं हो गा। वह खुशी खुशी हर उस लड़की को अपनी बहो क़ुबूल करीं मैं जसे पसन्द करों । अगर मैं कहूं तो वह तुमहारे घर बारात भी ले कर जा सकते हैं । ‘‘ वह बोला।
जिम्मी। । । यही तो मसलह है मेरे घर तुमहारी बारात नहीं आ सकती हमारी शादी मनडप मैं नहीं हो सकती। ‘‘
अगर मनडप मैं हो सकती तो किस तरह होगई। ‘‘
हम दोनों बालग़ हैं । अपनी मरजी के मख़तार हैं । हम अपनी पसन्द के मताबक़ शादी कर सकते हैं । हम कोर्ट मैं शादी करीं गए। घर वाली बरादरी वाली नहीं मानीं तो कहीं भग जाईं गए। और वहां पर शादी कर के अपना नया जयोन शुरू करीं गए। ‘‘
तुम किस हद्द तक अपनी उस बात पर क़ाम रहोगई मधू । ‘‘
जिम्मी। । । मेरा अमतहान मत लो। अगर तुम चाहो तो उस वक़्त अपना घर वतन छोड़ कर तुमहारे साथ जहां तुम कहो चाल सकती हूं । मधू ने अातमाद से कहा।
मधू की बात सुन कर वह सोच मैं पड़ गया। काफ़ी देर चप रहा फिर बोला। मधू। । । तुम अपने घर वालों को हमारी शादी के लिए राजी नहीं कर सकती। मैं नहीं चाहता कि कोई तजाद बड़े। ‘‘
जिम्मी। । । मेरे घर वाली हमारी शादी के लिए मुश्किल से राजी हूं गए। अगर मेरी महबत मैं मेरी खुशी के लिए वह राजी हो भी गए तो हमारी बरादरी वाली राजी नहीं हूं गए। गांव वाली राजी नहीं हूं गए। और वह कमीनह। । । अमित अगर अनीं हमारे तालक़ात की भनक भी लग गई तो वह ऐसी आग लगाे गा कि मैं बता नहीं सकती। हमारी शादी उस गांव मैं मनडप मैं होनी मुश्किल है अगर तुम मुझ से शादी करना चाहते हो तो मुझे उस गांव से दूर ले चलो। हम कोर्ट मैं शादी कर लीं गए। । । किसी मनदर मैं शादी कर लीं गए। । । किसी गरदवारे मैं शादी कर लीं गए। । । या मुझे तुमहारे गांव ले कर चलो। । । वहां अपने किसी दोस्त अपने किसी रिश्ता दार के घर मुझे रख दीना और वहां अपनी बारात ले कर आ जाना। कहते हुए मधू की आँखों मैं आनसो आ गए।
उस ने अपने हाथों से उस के आनसो पोनछे। मधू तुम जीसा चाहोगई मैं वीसा ही करों गा। लेकिन मैं चाहता हूं कि हमारी वजह से कोई फ़तनह फ़साद न पीदा हो जाए। हमारे प्यार की वजह से तुमहारे घर वालों को नीचे देखना न पड़े। उन की बदनामी की बनयाद पर हम अपने प्यार का महल तामीर कर सकते। बस उसी लिए मैं चाहता हूं कि कवी। । । कोई ऐसा रासतह नकल जाए जिस से बख़ोबी अनजाम को पहूंच जाए। वह ख़ला मैं घोरता बोला।
बहुत बहस सोच ग़ोर व ख़ोज के बाद भी कोई मनासब रासतह नकल नहीं सका जो दोनों और हर किसी के लिए क़ाबल क़ुबूल हो। उसे लग रहा था जिस वक़्त उस के दिल मैं मधू के लिए महबत कोनपल फोटी भी उस वक़्त उस की जिन्दगई मैं अनगारों की फ़सल की बोयाई शुरू होगई थी। अब वह फ़सल तयार हो रही है अब अनीं उस फ़सल के अनगारे ही काटने है फिर वह अपने ज़हन को यकसो करने के लिए गांव के हालात पर बातीं करने लगए। मधू उसे ऐसी बातीं बताने लगईं जो उसे मालूम नहीं थीं । उस का कहना था झोट का इतना ज़ोर दार परोपीगनडा क्या गया है कि हर कोई मसलमानों से नफिरत करने लगा है मसलमानों को अपना दुश्मन समझने लगा है और उसे महसूस हो रहा है मुसलमान उस की जान के दुश्मन है वह कभी भी उस की जान ले सकती है इसलिए बहुतरी उस मैं है कि वह अपनी जान की दफ़ाा के लिए खुद आगे बड़ कर मसलमानों की जान ले ले। या उन के सरों पर जो मसलमानों के ख़तरे की तलवार लटक रही है उस से नजात पाना है तो सारे मसलमानों को उस गांव बदर कर दिया जाए। अमित भाई जीसा नीता उन के दौल और पारटयां ही उन की सची रहनमा है और वही उन को उस मसीबत से बच्चा सकते हैं । इसलिए ज़रूरत उस बात की है कि सब मुत्तहिद हो जाईं ओ रान का साथ दीं । वरनह उस गांव मैं भी वही कुछ हो सकता है जो आठ दस साल क़बल ममबी मैं हो चका है । । बम फटीं गए और सारा गांव तबाह हो जाएगा। मसलमानों ने उस को बर्बाद करने की तयारी कर ली है
यह बातीं और भी ज़हनी तना मैं मबतला करने वाली थी। बहुतर यही था कि उन बातों को छोड़ कर अपने बारे मैं सोचा जाए। अपने प्यार के बारे मैं सोचा जाएगा। शाम तक वह इधर उधर भटकते रहे और फिर गांव की बस मैं बैठ कर वापिस गांव की तरफ़ चाल दिए। पूरे रास्ते दोनों ख़ामोश रहे। बस मैं दोनों का कोई शनासा नहीं था इसलिए दोनों एक ही सीट पर बैठे रहे। मधू उस की कानधे पर सर रखे पता नहीं क्या सोचती रही। बस स्टाप आया तो वह दोनों बस से नीचे उतरे। पहले मधू उतरी नीचे उतरते ही उस की चहरे का रंग बदल गया और वह डर कर पीछे हट गई। सामने अमित खड़ा था फिर शायद उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ। उसे अमित से उस तरह डर कर उसे अपने कमज़ोर और ग़लती का अहसास नहीं कराना चाहये। इसलिए उस ने बे नयाज़ी से एक नज़र उस पर डाली और आगे बड़ गई। उस के पीछे जिम्मी उतरा। अमित पर नज़र पड़ते ही वह भी िठठक गया। उस ने ख़वाब मैं भी नहीं सोचा था कि अपने सामने वह अमित को पायेगा।
क्या बात है सरदार जी। । । कहां से आ रहे हो अमित उसे चभती हुई नज़रों से देखता बोला। सवीरे जाते हो शाम को वापिस आते हो। मधू के साथ जाते हो। । । मधू के साथ वापिस आते हो। ‘‘
अमित की यह बात सुन कर उस का दिल कानप उठा। ऐसी बात नहीं है वह थोक नगल कर बोला।
अगर ऐसी बात नहीं है तो ठीक है मुझे पता चला के तुम मधू मैं कुछ ज्यादा ही दलचसपी ले रहे हो। । । अगर यह सच है तो यह अछी बात नहीं है मधू मेरी है और सिर्फ़ मेरी रहे गई। अगर कोई उस की तरफ़ आंख भी उठाे तोमैं उस की आंख नकाल दों गा। उस को कोई छोने की कोशिश करे तो तो उस के हाथ काट दों गा। और उस हद्द से आगे बड़ने की कोश करे तो उसे अपनी नफिरत और गुस्से के अला मैं जला कर ख़ाक कर दों गा। । । समुझे। धनदह करने आते हो। धनदह करो और दो पैसे कमा। ईश्क करने की कोशिश करो गए तो धन्दे से भी जा गए और जान से भी। ‘‘
जी। । । पता नहीं कहां से बुज़दली उस की रग रग मैं समा गई थी। वह उस से ज्यादा कुछ कह न सका। इतना कह कर अमित तेजी से मुड़ा और गांव की तरफ़ जाने वाली सड़क पर आगे बड़ गया। वह अपनी दुकान मैं आ कर सर पकड़ कर बैठ गया। तो अमित को पता चाल गया। या अमित ने देख लिया जान लिया कि उस का और मधू का क्या रिश्ता है उस को अमित क्या आँखों मैं नफिरत के शाले भड़कते नज़र आए। जो ऐसा महसूस हो रहा था एक अलाव की शक्ल अख़तयार कर रहे हैं । और कुछ बुद नमा चहरे उसे और मधू को पकड़ कर उस अला मैं धकील रहे हैं । दोनों उन की गरफ़त से आज़ाद होने के लिए कसमसा रहे हैं । मगर अनीं अपने पर जलते अलाव की लपटीं महसूस हो रही हैं ।
Contact:-
M.Mubin
303- Classic Plaza, Teen Batti
BHIWANDI- 421 302
Dist. Thane ( Maharashtra)
Mob:-09322338918

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