M.Mubin's Hindi Novel on Background of Gujrat Riot Part 13

गुजरात दंगो की पृष्ट भूमि पर एक रोमान्टिक उपन्यास
अलाव

लेखकः-ःएम.मुबीन

Part 13

दिन भर रात भर वहशत का ननगा नाच जारी रहा। जो होलनाक वाक़ाात वह अपनी आँखों से देख रहा था उस से भी ज्यादा वहशत नाक वाक़ाात होते थे जिन को सुन कर कलीजह कानप अठता था रात सनाटे को चीर कर बे बसों की दरदभरी चीख़ीं फ़जा के सीने मैं दफ़न होती रहीं । धवीं के बादल सारे गांव को अपनी लपीट मैं लिए रहे। जगह जगह से आग की लपटीं अठती दखाई दे रही। रात भर वह सौ नहीं सका।
ग्लेरी मैं खड़ा अनधीरे मैं आनखीं फाड़ फाड़ कर गांव को देखता रहा। कभी दिल घबरा जाता तो आ कर बसतर पर लीट जाता लेकिन फिर भी नीनद आँखों से कोसों दूर थी। उस ने जिन्दगई मैं ऐसा मन्ज़र पहली बार देखा था उस ने अपने बज़रगों से एसे मनाज़र की कहानयां सनी थीं । लेकिन यह मनाज़र तो उन से भी ज्यादा होलनाक थे। अनसानों की जान लीने के लिए एसे एसे वहशयानह तरीक़ों का इस्तेमाल क्या गया था जिन के बारे मैं सोचा भी नहीं जा सकता था
पो ठने के बाद भी धमाके चीख़ीं गोनजती रही। वह बसतर पर लीटा था अचानक दरवाज़े पर दसतक हुई। दसतक सुन कर उस का दिल दहल उठा। एसे माहोल मैं एसे माहोल मैं कौन उस से मिलने के लिए आ सकता है ؟ कानपते दिल से उस ने दरवाज़ह खोला तो दरवाज़े मैं मधू को खड़ी देख कर उस का दिल धक से रह गया।
मधू तुम ؟ उस वक़्त यहां ؟‘‘
मधू ने कोई जवाब नहीं दया। वह अन्दर आई और अपने दोनों हाथों से अपना मुंह छपा कर फोट फोट कर रोने लगई।
मधू क्या बात है क्या हुआ ؟ वह मधू को रोता देख कर घबरा गया। और उस से पूछने लगा। मधू ने उस बार भी उस की किसी बात का जवाब नहीं दया। और अपना चहरह अपने हाथों से छपाते दहाड़े मर मर कर रोती रही। मधू क्या बात है तुम बताती क्यों नहीं ؟ ‘‘ मधू का रोना देख कर उस के दिल की धड़कनीं बड़ती जा रही थीं । और आँखों के सामने अ अनधीरा छाता जा रहा था तुम उस वक़्त एसे हालात मैं यहां आई हो तुम्हें एसे हालात मैं तो अपने घर से भी बाहर नहीं नकलना चाहये था सारा गांव वहशयों से भरा परा है सारा गांव वहशी दरनदह बन गया है किसी को किसी का होश नहीं है ‘‘
जिम्मी। । । मैं लट गई। । । मैं बर्बाद होगई। मैं किसी को मुंह दखाने के क़ाबल नहीं रही। एक दरनदे ने मुझे किसी क़ाबल नहीं छोड़ा। वह ज़ोर ज़ोर से दहाड़े मर मर कर रोने लगई।
उस के दिल की धड़कनीं तीज़ हो गईं । और आँखों के सामने का अनधीरा कुछ ज्यादा ही गहरा हो गया। उस की कुछ समझ मैं नहीं आया मधू क्या कह रही है या क्या कहना चाहती है
मधू तुम क्या कह रही हो। मेरी कुछ समझ मैं नहीं आ रहा है ‘‘
जिम्मी। । । मुझे अमित ने बर्बाद कर दया। उस ने मेरे साथ रीप क्या है मेरी उसमत दरी की है यह कह कर कि अब मैं तुमहारे क़ाबल नहीं रहूं गई। उस के बाद तुम मेरी तरफ़ आंख उठा कर भी नहीं दीखो गए। ‘‘ मधू रोती हुई बोली।
उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी बारोद ख़ाने की सादी बारोद उस के दमाग़ मैं फट पडे है सारी गांव मैं लगई आग उस के वजोद मैं आ कर समा गई है उस के ज़हन मैं मसलसल धमाके हो रहे थे। और वजोद जाल रहा था आनखीं दहक रही थीं । और उन दहकती आँखों से वह उस मन्ज़र को देख रहा था जसे मधू ने बयान क्या था
जिम्मी। । । अमित बहुत कमीनह है सारे गांव मैं उस ने आग लगाई। । । हर ज़लील घनाना काम क्या। । । और आख़र मैं मुझे भी नहीं छोड़ा। मेरे म बाप को उस ने एक कमरे मैं बुद कर दिया और ओपर चला आया। मैं बहुत चीख़ी चलाई। मैं ने मदद के लिए सारे गांव का बलएा। । । लेकिन जब सारा गांव चीख़ों मैं डोबा हो। । । हर कोई मदद को बला रहा हो तो फिर कौन मेरी मदद को आए गा मेरे म बाप बे बसी से मेरे लटने का तमाशह देखते रहे। जब सीनकड़ों उसमतीं लटी हो। अगर मेरी भी लटी तो उस से किसी को क्या फ़रक़ पड़ता है उस ज़लील का एक ही मक़्सद था तुम यह सब जानने के बाद मुझे ठकरा दो। मेरा ग़रोर टोट जाए मैं दुनिया को मुंह दखाने के क़ाबल न रहूं । मैं उस की न हो सकी तो तुमहारी भी न हो सकों । ‘‘
वह अपना सर पकड़ कर बैठ गया। कुछ लमहूं क़बल तक वह इतने जोश और गुस्से मैं भरा था कि उस का दिल चाह रहा था वह अभी अमित के घर पहूंच जाते और अपनी करपान से अमित के टुकड़े टुकड़े कर दे। लेकिन फिर जैसे उस पर बरफ़ पड़ गई। वह मधू के आनसों को देख रहा था उस के चहरे पर थरकती बे बसी को देख रहा था मधू के आनसो देख कर उस का कलीजह मुंह को आ रहा था उस के चहरे की बे बसी उस पर हुए ज़लम की दासतान सना रही थी। एक औरत की उसमत उस का सब से क़ीमती ज़योर होती है वह उस गहने को सारी दुनिया से बच्चा कर रखती है अपने महबोब अपने शोहर पर नछओर करने के लिए एक औरत के लिए अपने दयोता के क़दमों मैं चड़ओा छड़ाने के लिए उस से बड़ कर और कोई चीज़ नहीं हो सकती। अगर उस से उस का वही क़ीमती ज़योर कोई ज़बरदसती उस छीन ले तो उस औरत के दिल पर क्या गज़रे गई। उस का अनदाज़ह लगाना दुनिया के किसी भी मर्द के लिए बहुत मुश्किल काम था
लेकिन वह मधू के दर्द को महसूस कर रहा था उसे खुद लग रहा था उस से उस की सब से क़ीमती चीज़ छीन ली गई है उस की जो जिन्दगई का हाशिल था वही हाशिल उस से छीन लयागया है वह अपने आप को मधू की तरह बे बस महसूस कर रहा था जज़बात से मग़लोब उठा और उसे अपने आप पर काबू रखना मुश्किल हो गया। और वह भी मधू की तरह अपने दोनों हाथ से अपना चहरह छपा कर बच्चों की तरह फोट फोट रोने लगा।
उसे रोता देख कर मधू का भी दिल भर आया और वह भी दहाड़ीं मर मर कर रोने लगई। और शदत जज़बात से बे काबू हो कर उस से लपीट गई। और वह दोनों एक दूसरे से लपटे रोने लगए। एक दूसरे से लपटे पता नहीं वह कतने देर तक रोते रहे।
मधू की हचकयां बन्द गईं । और उस का गला रनध गया। उस की भी हचकयां बन्द गई और गला भर आ या। काफ़ी देर के बाद वह एक दूसरे से अलग हुए और दो कोनों मैं बैठ कर बे वजह कभी छत और कभी फ़र्श को देखते पता नहीं क्या क्या सोचने लगए। दनों एक दूसरे से न कोई बात कर रहे थे और न एक दूसरे की तरफ़ देख रहे थे। न उन के मुंह से एक लफ़्ज़ नकल रहा था ससकयां रुक गई थीं । गला रनधा हुआ था लेकिन आनसो रकने का नाम नहीं ले रहे थे।
बहुत देर बाद वह बोला मधू। । । हालात बहुत ख़राब है एसे हालात मैं तुमहारी जीसी लड़की का घर से बाहर नकलना ठीक नहीं है एक दरनदे अमित के हाथों तुम तबाह तो हुई हो। चारों तरफ़ हज़ारों अमित बखरे हुए हैं । हर आदमी अमित की तरह जानोर बन गया है जिस तरह अमित ने दरनदगई का मज़ाहरह कर के हालात का फ़ादह कर अपने मन की मराद हाशिल कर ली है मैं नहीं चाहता हूं कि कोई और अमित की तरह हालात का फ़ादह उठा कर तुम से अपने दिल की मराद पोरी कर ले। । । तुम घर जा। उस तोफ़ान को थमने दो उस के बाद सोचीं गए कि हालात का किस तरह मक़ाबलह और सामना करना है और हमैं अब क्या करना है ‘‘
जिम्मी। । । यह मेरी तुम से आख़री मलाक़ात है अब मैं कभी तुम से सामना नहीं करों गई। तुम मुझे भूल जा। । । मेरा ख़याल भी अब दिल मैं नहीं लाना। सोचना तुमहारी जिन्दगई मैं कोई मधू नाम की लड़की आई ही नहीं थी। मेरे पीछे अपनी जिन्दगई बर्बाद नहीं करना। किसी अछी सी लड़की से शादी कर के अपना घर बसा लेना। ससकती हुई मधू बोली।
यह क्या कह रही हो। । । मधू वह तड़प उठा तुम मेरी रोह हो। । । मेरी जान हो। । । तुमहारे बग़ीर मैं अपनी जिन्दगई का तसोर ही नहीं कर सकता। नहीं । । । नहीं दुनिया की कोई ताक़त हमैं एक दूसरे से जुदा नहीं कर सकती। यह तोफ़ान तो एक मामोली हुआ का झोनका था जो गज़र गया यह तोफ़ान तो दूर उस तरह के हज़ारों तोफ़ान भी हमैं अे दूसरे से जुदा नहीं कर सकते। तुम मेरी हो। । । मेरी रहोगई। । । हर हाल मैं । । । हर हाल मैं । । । ‘‘
नहीं जिम्मी। । । अब मैं तुमहारी नहीं हो सकती। । । मैं तुमहारे क़ाबल नहीं हूं । मुझे भूल जा। । । मुझे भूल जा। । । कहती ससकती हुई मधू अठी और तेजी से कमरे के बाहर नकल गई।
वह उसे आवाज़ीं दीता रह गया। और वह उस की नज़रों से ओझल होगई। ग्लेरी मैं आया तो उस ने देखा। । । वह ससकती गांव की तरफ़ जा रही है लमहह बह लमहह उस से दूर होती जा रही है और फिर उस की आंख से ओझल होगई।

Contact:-M.Mubin303- Classic Plaza, Teen BattiBHIWANDI- 421 302Dist. Thane ( Maharashtra)Mob:-09322338918Email:- mmubin123@gmail.com

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