M.Mubin's Hindi Novel on Background of Gujrat Riot Part 8

गुजरात दंगो की पृष्ट भूमि पर एक रोमान्टिक उपन्यास
अलाव

लेखकः-ःएम.मुबीन

Part 8

दूसरे दिन सवीरे किसी के दरवाज़ह खटखटाने पर आंख खली। कोन हो सकता है आनखीं मलते हुए उस ने सोचा। मधू ने उस से कहा था कि वह कुछ दिन उस से नहीं मले गई। और वह भी उस से दूर दूर रहे। इसलिए वह जिल्द नहीं जागा। उस ने ते क्या था कि वह सवीरे देर तक सोता रहेगा। लेकिन इतनी सवीरे कौन उसे जगाने आगयादरवाज़ह खोला तो उस का दिल धक से रह गया। दरवाज़े मैं मधू खड़ी थी।
मधू तुम वह हैरत से उसे देखने लगा।
हां मैं ‘‘ कहते हुए वह अन्दर आई और पलनग पर बैठ कर गहरी गहरी सानसीं लीने लगई।
लेकिन तुम ने तो कहा था आठ दस दिन तुम मुझ से नहीं मलो गई। मैं भी तुम से दूर दूर रहूं । ‘‘
हां मैं ने कहा था मगर अब मैं ने अपना अरादह बदल दिया है मैं किसी से नहीं डरती। मैं ने प्यार क्या है कोई पाप नहीं क्या मेरा प्यार सचा है तो मुझे दुनिया से डरने की ज़रूरत मधू बोली।
लेकिन अमित
मैं उस से भी नहीं डरती। अगर उस ने मुझ से अलझते की कोशिश की तो मैं उस को कचा चबा जां गई। ‘‘ मधू ने गुस्से से बोली।
मधू के तयोर देख करोह दिनग रह गया।
रात भर मैं ने उस बारे मैं सोचा और उस के बाद फैसला क्या है मुझे हमैं किसी से डरना नहीं चाहये। हम सब के सामने यह अालान करीं गए कि हम दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं । देखते हैं दुनिया की कौन सी ताक़त हमैं प्यार करने से रोकती है और कौन हमारी शादी मैं टानग अड़ाने की कोशिश करता है ‘‘
मधू के तयोर देख कर कर उसे भी एक नया होसले मला। मधू एक लड़की हो कर इतना सब कुछ कर सकती है सारी दुनिया से टकराने को तयार है किसी से नहीं डरती। सब के सामने अपने प्यार का अालान कर ने को तयार है तो वह तो लड़का है उसे दुनिया से डरने की क्या ज़रूरत है मधू अगर उस का साथ दे ، उसे के साथ रहे तो वह सारी दुनिया से टकर ले सकता।
ठीक है मधू। । । अब हमैं किसी से नहीं डरीं गए। सारी दुनिया के सामने अपनी महबत का अालान कर दीं गए। दीखीं ज़मानह क्या करता। ‘‘
मुझे तुम से यही अमीद थी। । । जिम्मी। कह कर मधू उस आ कर लपट गई। और उस की चोड़ी छाती मैं सर रख कर फोट फोट कर रोने लगई। उस ने मधू को भीनच गया। और उस पशत और बालों मैं हाथ फीरने लगा।
ठीक है मधू। । । अगर तुम चाहती हो तो एक दो दिन मैं ही हम शादी कर लीं गए। शादी कर के उस गांव मैं रहीं गए। और दुनिया को बताईं गए कि प्यार करने वाली कतने खुश व ख़रम रहते हैं । प्यार करने वाली को दुनिया से डरना नहीं चाहये। प्यार करने वाली अगर अपने अरादों मैं अटल रहीं तो दुनिया की यह दयवार टोट सकती है अनीं दुनिया की कोई ताक़त एक दूसरे से जुदा नहीं कर सकती। दुनिया की कोई ताक़त अनीं मिलने से रोक नहीं सकती। ‘‘
पता नहीं कतनी देर तक वह एक दूसरे से लपटे एक दूसरे से बातीं करते रहे। बाहर बस का हारन सनाई दिया तो वह चोनके। मधू की बस आ गई थी।
मैं जाती हूं दोपहर मैं फिर आं गई। कहती मधू उस के मुंह को चोम कर तेजी से सीड़यों से नीचे अतर कर बस मैं जा बैठी। बस वाला शायद उस का इन्तज़ार कर रहा था उस के बस मैं बैठते ही बस चाल दी। जाते हुए मधू उसे हाथ दखाया। उस ने भी हथ हला कर फ़लानग किस मधू की तरफ़ अछाला।
देर तक वह जाती बस को देखता रहा। जब तक वह उस की आँखों से ओझल नहीं होगई। बस जब उस की आँखों से ओझल होगई तो वह अन्दर आया। उस के अनग अनग मैं मसरत ख़ोशी अनतशार की लहरीं दौर रही थी। उसे सारी दुनिया फ़ाख़ती महसूस हो रही थी। उसे सारी दुनिया रनगईन सजी हुई महसूस हो रही थी।
एक एक लमहह एक सदी सा महसूस हो रहा था मसरत नशे मैं डोबा हुआ लमहह जिस मैं वह डोबता जा रहा था कहां रात मैं उस ने अपने दिल पर जबर कर के फैसला कर लिया था अब वह मधू की तरफ़ आंख उठा कर भी नहीं दीखे गा। सारी दुनिया को यह बताने की कोशिश करेगा कि जैसे वह मधू को जानता ही नहीं । उस की जिन्दगई मैं मधू नाम की कोई लड़की नहीं है वह किसी मधू नाम की लड़की को नहीं जानता है
अपने दिल पर जबर कर के उस ने यह फैसला कर लिया था और अपने आप को उस के लिए तयार भी कर लिया था कि वह किस तरह हालात का मक़ाबलह करेगा। अपने दिल पर काबू रख कर मधू को कुछ दनों के लिए भोलने की कोशिश करेगा। और उस की पहली कोशिश की तोर पर वह देर तक गहरी नीनद भी सोया था लेकिन अचानक सुबह उस के लिए एक नी नवीद मसरत भरा पीग़ाम ले आई। अब जब मधू ने कह दिया है कि वह किसी से नहीं डरती वह उस से मलना नहीं छोड़े गई। तो फिर उसे डरने की क्या बात। । । वह उस से कह गई है कि दोपहर मैं जलदी आए गई। । । । वह उस के आने का इन्तज़ार करने लगा। उस ने ते क्या कि आज वह दोपहर का खाने अपने घर मैं मधू के साथ खाे गा और मधू के लिए अपने हाथों से खाना बनाे गा। उस के लिए ज़रा जलदी दुकान से आ जाएगा।
वह फिर तयार होने लगा। तयार हो कर दुकान मैं आया और दुकानदारी मैं लग गया। लेकिन ज़हन मधू मैं अटका रहा। मधू आज जलदी आने वाली है ओ र उस के घर आने वाली है आज वह साथ मैं दोपहर का खाना खाईं गए। और वह अपने हाथों से मधू के लिए दोपहर का खाना बनाे गा। दस बजे तक वह अपनी ख़यालों मैं अलझा रहा। अचानक उस के ख़यालों का सलसलह टोट गया। सामने अमित भाई खड़ा था
सवीरे मधू तुमहारे पास आई थी ‘‘ वह उसे क़हर आलोद नज़रों से देख रहा था
आई थी और आती रहे गई। वह उस की आँखों मैं देखते बोला। मधू को यहां आने से कोई नहीं रोक सकता। न मुझे दुनिया की कोई ताक़त मधू को मिलने से रोक सकती है ‘‘
मेरे मना करने के बओजोद तुम मधू से मले। ‘‘
मलों गा। । । क्या कर लो गए। वह अमित से अलझने के लिए पोरी तरह तयार हो गया।
अमित उसे क़हर आलोद नज़रों से देखता रहा। फिर उस के तयोर देख कर उस की आँखों मैं बे बसी के तासरात उभरे।
अमित से दशमनी बहुत महनगई पडे गई। कहता वह तेजी से पलटा और तीज़ तीज़ क़दमों से आगे बड़ गया।
देखता हूं दशमनी कसे महनगई पड़ती है उस ने हूंट चबा कर कहा और उस गाहक की तरफ़ मतोजह हुआ जो दोनों को हैरत से देख रहा था

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