M.Mubin's Hindi Novel on Background of Gujrat Riot Part 5

गुजरात दंगो की पृष्ट भूमि पर एक रोमान्टिक उपन्यास
अलाव

लेखकः-ःएम.मुबीन

Part 5

वह दिन भी उस के लिए बैसाखी से कम न था जो खुशी एक को बैसाखी के दिन महसूस होती है उसे उसी दिन महसूस हो रही थी। मधू उस के घर आई थी और उस के नाशतह के लिए खमन बन कर लाई थी। एक गुजराती खाना था जो आम तोर पर नाशतह मैं खाया जाता था उस से क़बल उस ने वह नहीं खाया था खाना बड़ा लज़ीज़ था उस पर चटनियों की आमीज़श उस के ज़ाक़ह को दोबाला कर देती थी। जाते हुए उस से कह गई के आज उस के कालेज मैं दो ही पीरीड है अगर वह चाहे तो शहर आ सकता है उस ने फौरन हामी भर ली और कह दिया उस वक़्त वह कालेज के गेईट के बाहर इन्तज़ार करेगा।
मधू बस मैं बैठ कर चली गई। लेकिन उस के दिल को चैन नहीं था दो घण्टे बाद ही मिलने का वादह था इसलिए उस का किसी काम मैं दिल नहीं लग रहा था रघो और राजो आए तो उस ने उन से कह दिया वह एक काम से शहर जा रहा है शाम को आए गा वह दुकान देख ले। और फौरन सामने खड़ी बस मैं बैठ कर शहर को चाल दया। आधे घण्टे मैं वह शहर मैं था और अभी पूरे एक घण्टे उसे मधू का इन्तज़ार करना था शहर उस के लिए नया था कोई शनासा भी नहीं था जिस के पास जा कर वक़्त गज़ारा जाए। मधू ने कालेज का पता बता दिया था बस स्टाप से थोड़ी देर पैदल चलने के बाद मधू का कालेज आ जाता था वह कालेज पर पहूंच कर कालेज के गेट के बाहर मधू का इन्तज़ार करने लगा।
आते जाते लोग उसे बड़ी अजीब नज़रों देखते और आगे बड़ जाते थे। पहले उस की समझ मैं उन लोगों की नज़रों का मतलब नहीं आया फिर वह खुद अपने आप पर नज़र पडे। उस की हालत शहर मैं हाथी की सी है जिस तरह अगर हाथी शहर मैं आ जाए तो शहर वालों के लिए वह अजूबा होता है वह भी शहर वालो के लिए अजूबा था उस वक़्त शहर मैं शायद अकलोता सिख था इसलिए लोग उसे हैरत से देख रहे थे। उसे लगा उसे अपनी शनाख़त छुपाना सब से मुश्किल काम है वह लाखों मैं पहचाना जाता सकता है और कोई भी उसे जानने दूर ही से उसे देख कर कह सकता है यह जिसमीनदर सिंह अरफ़ जिम्मी है नोटया गांव के। गुरु नानक स्पेयर पाट्स का मालक। ‘‘ और आज उस ने मधू के साथ शहर की सैर करने का मनसोबह बनाया है मधू को शहर मैं शायद ही पहचानी जाए। लेकिन उसे पहचान लेना आसान सा काम है फिर अगर किसी सरदार के साथ कोई लड़की हो तो वह लोग हर किसी की तोजह का मर्कज़ बन सकते हैं । ख़सोसी तोर पर अगर वह लड़की गुजराती हो तो। फिर उस ने अपना सर झटक दया। अब उन बातों से क्या डरना। जब प्यार क्या तो डरना क्या। जो हो गा देखा जाएगा।
वक़त मक़रर पर मधू बाहर आ गई। वह मधू का हाथ पकड़ कर तेजी से एक रिकशा मैं बैठ गया और रिकशा वाली से चलने के लिए कहा। अगर कालेज का कोई लड़का लड़की मधू को उस के साथ देख लेता तो सारे कालेज मैं फ़सानह बन जाता मधू एक सरदार जी के साथ कहीं गई है कालेज से दूर पहूंच कर वह रिकशा से उतरे। और उन्हों ने शहर की सैर शुरू की। मधू शहर की एक एक चीज़ के बारे मैं उसे बताने लगई दोपहर का खाना उन्हों एक अछी होटल मैं खाया। खाना खाते हुए वह मधू से पूछ बैठा। यह अमित पटेल कौन हे ‘‘
अमित ‘‘ उस का नाम सुन कर मधू ने अपने हूंट भीनचे। तुम ने उस का नाम क्यों लिया मैं उस का नाम को सुनना भी पसन्द करती हूं । ‘‘
मैनू पता तो चले कि वह कौन सी हसती है ‘‘
एक गुण्डा मवाली है मुझ से ईश्क करता है ‘‘
ओर तुम उस ने मधू की आँखों मैं देखा।
मैं उस के मुंह पर थोकना भी पसन्द नहीं करती। ‘‘
वजह
कह दिया न वह एक गुण्डा बदमााश है मुझे ज़रा भी पसन्द नहीं । मेरी बरादरी का है तो क्या हुआ वह मुझे अपनी जागईर समझता है मुझे रिश्ता भी लगाया था मेरे घर वाली राजी हो गए थे मगर मैं ने साफ़ कह दिया कि अमित से शादी करने के बजाए मैं कनवारी रहना पसन्द करों गई। उस पर उस ने चीलनज क्या कि एक दिन वह मुझे शादी के लिए राजी कर ले गा। तब से आए दिन आ कर मुझ पर अपना हक़ जताता रहता है ‘‘
हूं ‘‘ अमित की कहानी सुन कर उस ने एक ठनडी सानस ली। तो वह मेरा रक़ीब है
रक़ीब ؟ मधू हनस पडे वह किस तरह ؟‘‘
वह तुम्हें प्यार करता है और मैं भी तुम्हें प्यार करता हूं । ‘‘
वह क्या मुझे प्यार करेगा। मेरे जिसम को पाना चाहता है एक बार अगर उस ने मेरा जिसम पा लिया तो मेरी तरफ़ आंख उठा कर भी नहीं दीखे गा। किसी दूसरी लड़की पर डोरे डालने लगए गा। इसलिए मैं उस से शादी करना नहीं चाहती। लेकिन तुम कब से मुझ से पऱयार करने लगए ؟ ‘‘
जब पहली बार देखा था ‘‘
क्या पहली बार देखने से ही प्यार हो जाता है ‘‘
सचा प्यार तो पहली नज़र से ही शुरू हो जाता है ‘‘
अच्छा। । । और प्यार। । । वह उस की आँखों मैं झानकने लगई।
यह प्यार क्या होता हे
यह ऐसा जजबा है जो लफ़ज़ों मैं बयान नहीं क्या जा सकता वह बोला।
लेकिन उस प्यार की कोई तो निशानी तो होगई। ‘‘
उस वक़्त हम आमने सामने बैठे एक दूसरे की आँखों मैं देख कर खुश हो रहे हैं । एक रोहानी मसरत हाशिल कर रहे हैं यह भी प्यार की एक निशानी है वह बोला।
उस की बात सुन कर मधू के चहरे पर सुरख़ी छा गई। क्या तुम मुझे उसी तरह प्यार करते रहोगए। ‘‘
हां उसी तरह। और तुम ؟‘‘
मैं भी तुम्हें उस तरह प्यार करती रहूं गई। ‘‘
तो उस का मतलब है तुम भी मुझ से प्यार करती हो। ‘‘
क्यों तुम्हें कोई शक हे मधू के चहरे पर गुस्से के तासरात उभरे। अमित जैसे की लड़के मेरे पीछे पडे हैं लेकिन मैं किसी को घास नहीं डालती। बस तुम पर दिल आगया जब तुम्हें देखा तो तुम दिल मैं अतर गए। आते जाते देखती रही। और मेरी रोह मैं अतर गए। ‘‘
ओे बले बले वह खुशी से नाचने लगए।
अरे यह क्या तमाशह है यह होटल है घर नहीं । मधू ने उसे प्यार से डानटा तो उस ने खुद पर काबू क्या।
सारी सारी यह कह कर वह चोर नज़रों से चारों तरफ़ देखने लगा। सच मच हर किसी की नगाह उस पर मरकोज़ थी। इसलिए ज्यादा देर तक वहां बैठना उन्हों ने मनासब नहीं समझा। उस ने होटल का बल अदा क्या और जलदी से होटल के वीटर आ गए। उस के बाद दोबारा उन की तफ़रीह शुरू होगई जो शाम पाँच बजे तक जारी रही।
शाम पाँच बजे की बस से वह वापिस गांव आ गए। मधू अपने घर चली गई। वह आ कर दुकान पर बैठ गया। रघो सब ठीक तो हे उस ने रघो से पोछा।
सब ठीक है सीठ। अमित और सीफ़ होटल वाली की खूब मर पीट हुई।
मार पीट हुई क्यों ؟‘‘
अरे वह तो की दनों से लग रहा था कि दोनों मैं जम कर मर पीट होगई। जब से सीफ़ होटल खली है आस पास का तमाम छोटे बड़े होटलों का धनदह खतुम हो गया है सीफ़ होटल मैं कोलड डरनक जोस ठनडा वग़ीरह बहुत अमदह और ससते दामों मैं मिलता है इसलिए हर कोई उसी होटल मैं जाता है यह बात तमाम होटल वालों की नज़र मैं खटक रही थी। अमित की भी एक होटल है वह तो बालकल होगई थी। इसलिए अमित और ज्यादा खाे बैठा था मौक़े की ताक मैं था कब उसे मौक़े मले और वह सीफ़ होटल के ख़लाफ़ कोई कारवाई करे। आज पोरी तयारी से साफ़ट डरनक पीने के लिए वह सीफ़ होटल कीं लिया साफ़ट डरनक पी क बल के लिए उस ने वीटर से झगड़ा क्या और उस के मुंह मैं मर दया। होटल के मालिक सीफ़ अलदीन ने उसे वीटर पर हाथ उठाने से रोका तो वह सीफ़ अलदीन पर टोट पड़ा। सीफ़ अलदीन मजबूत आदम है उस ने जम कर अमित की पटाई कर दी। उस पर अमित के आदमी होटल मैं घस कर तोड़ फोड़ करने लगए। जवाब मैं होटल के वीटरों ने उन की पटाई कर दी। सीफ़ अलदीन ने अमित को इतना मारा के बड़ी मुश्किल से जान बच्चा कर वह भागा और पोलीस थाने पहनचा। पोलीस आई और सीफ़ अलदीन और उस के साथयों को पकड़ कर ले गई। होटल बनद है और अभी तक पोलीस उसटीशन मैं हनगामह चाल रहा है दोनों तरफ़ के लीडर माामले को समझाने की कोशिश कर रहे हैं । लेकिन अमित माामलह बर्ह रहा है ‘‘
रघो की बात सुन वह सोच मैं डोब गया। कुछ सोच कर उस ने जावेद को फ़ोन लगाया। जावेद भाई मैं ज़रा शहर गया था सना है गांव मैं कोई हनगामह हुआ है ‘‘
हां अमित ने हनगामह खड़ा क्या था होटल मैं तोड़ फोड़ मार पीट हुई है माामलह पोलीस उसटीशन मैं है दीखीं क्या होता है जावेद ने जवाब दया।
कवी गड़ बड़ तो नहीं । ‘‘
गड़बड़ तो नहीं है लेकिन माामलह अमित का है वह माामले को क्या रंग दे गा उस बारे मैं कहा नहीं जा सकता है जावेद बोला। वीसे गांव वालों को उस माामले मैं कोई दलचसपी नहीं है कारोबारी दशमनी है ‘‘
जावेद की बात सुन कर वह सोच मैं डोब गया। उसे लगा गांव मैं एक अला जाल रहा है और अमित जैसे लोग उस अला को जलाने के लिए नफिरत दशमनी फ़रक़ह परसती की लकड़यां लाला कर डाल रहे हैं । ताके अला की आग और तेजी से भड़के।
दूसरे दिन माामलह ने ऐसी नवाईत अख़तयार कर ली जिस के बारे मैं सोचा भी नहीं जा सकता था अमित का तालुक़ जिस पारटी से था उस पारटी ने अपने लीडर पर हुए शरमनाक क़ातलानह हमले के ख़लाफ़ गांव का कारोबार बनद रखे की अपील की थी। सवीरे से ही पारटी के वरकर आ कर दोकानीं बनद करा रहे थे। उस ने जब दुकान खोली तो वह वरकर उस के पास भी आए।
सरदार जी दुकान बनद कीजये
क्यों भाई ‘‘
हमारे लीडर अमित पटेल पर एक ग़नडे पाकसतानी एजनट गईनग के सरग़नह सीफ़ अलदीन ने हमलह क्या है ، उसे बड़ी तरह ज़ख़मी क्या है उस गुण्डा गरदी के ख़लाफ़ अहतजाज करने के लिए हम ने यह बनद रखा है हमारा मतालबह है सीफ़ अलदीन और उस के साथयों को पोटा के तहत गरफ़तार क्या जाले। उस के होटल को जराम पेशह अफ़राद का अडा है उसे बनद क्या जाए। सीफ़ अलदीन का तालुक़ पाकिस्तानी एजनसी आई एस आई से है उस की जानच की जाए और गांव मैं उस से तालुक़ रखने वाली दूसरे लोगों को भी बे नक़ाब क्या जाए। ‘‘
अन की बातीं सुन कर उस ने अपना सर पकड़ लिया हर कोई जानता था माामलह क्या है कतनी नवाईत का है लेकिन उस को ऐसा रंग दिया जाएगा कोई उस के। बारे मैं सोच भी नहीं सकता था रघो ने उसे मशोरह दया।
सीठ जी। । । दुकान बनद रखी जाए तो बहुतर है अमित ने ग़नडे पाल रखे हैं । दुकान खली रखने पर हो सकता है वह कोई गड़ बड़ करे। ‘‘
उस ने दुकान बनद कर दी। माामलह का जाज़ह लीने के लिए चोक की तरफ़ आया तो उसे सारा माहोल बदला हुआ दखाई दया। एक भी दुकान चालो नहीं थी। सड़कों पर सनाटा था जगह जगह अमित भाई पटेल पर होने हुए शरमनाक क़ातलानह हमले के ख़लाफ़ बोरड लगए थे। और बनद का नारह लखा था
अख़बारात आ गए थे। अख़बारात ने उस ख़बर को नमएां अनदाज़ मैं छापा था अख़बारों मैं लखा था सीफ़ अलदीन एक गुण्डा है की तरह के ग़ीर क़ानोनी धनदों और जराम मैं मलोस है लेकिन उस का रसोख़ इतना है कि आज तक पोलीस उस पर हाथ नहीं डाल सकी। उस का तालुक़ पाकिस्तानी ख़फ़ीह एजनसी से है जिस से वह मुल्क दुश्मन सरगरमयों मैं भी मलोस है पोलीस एसे गनाह गार के ख़लाफ़ कारवाई नहीं कर रही है
गांव वाली तो सब जानते थे कि हक़ीक़त क्या है लेकिन अख़बारात की उस तरह की ख़बरों का उसर पूरे इलाके पर पड़ा। उस तरह की ख़बरीं पहार के आस पास के लोग सोचने लगए कि जरोर नोटया मैं कोई बड़ा वाक़ाह हुआ है रयासत के अहम लीडरान गांव आए और वह भी अमित की हमएत मैं आवाज़ उठाने लगए।
रात का माामलह खतुम हो गया था पोलीस ने मर पीट का कीस अमित और सीफ़ दोनों के आदमयों को जमानत पर छोड़ दिया था लेकिन माामलह ऐसा रख़ अख़तयार करेगा कोई सोच भी नहीं सकता था वह जावेद कमपयोटर उसनटी टयोट के पास आया तो जावेद और बनद कराने वालों मैं हजत चाल रही थी।
देखये। । । आप का अहतजाज अपनी जगह पर है लेकिन उस उसनटी टयोट को बनद करा कर आप को क्या मले गा यहां बच्चे तालीम हाशिल करते हैं । एक दिन बनद से उन की तालीम का नुक़सान हो गा। ‘‘
अरे बड़ा आया तालीम के नुक़सान पर मातुम करने वाला। बनद करता है या पत्थर बाज़ी शुरू करीं । लगता है यह भी सीफ़ अलदीन का साथी है उस साले का नाम भी आ य एस आई के एजनटों मैं डालो। ‘‘
अब माामले की नज़ाकत को जावेद समझ गया। न चाहते हुए भी उस ने कह दया। ठीक है मैं आज अनसटी टयोट बनद रखता हूं । ‘‘
जे शरी राम। जे बजरंग बली ‘‘ के नारे लगाते वह लोग आगे बड़ गए।
जावेद भाई यह क्या तमाशह है वह जावेद से बोला।
सरदार जी। । । कभी आप के पंजाब मैं जो कुछ होता था आज सारे गुजरात मैं हो रहा है कभी पूरे पंजाब पर दहशत गरदों का सकह चलता था आज सारे गुजरात पर फ़रक़ह परसतों का सकह चलता है कयोनकह हकोमत उन की है पोलीस उन की हे मीडया उन की है वह चाहे तो झोट का सच और सच का झोट क़रार दे दीते हैं । अब सीफ़ भाई का माामलह ले लो। सारा गांव उसे जानता है सीधा साधा आदमी है उस का किसी से कोई लेना दीना नहीं है लेकिन कारोबारी रक़ाबत ने उसे गईनग उसटार मलक दशमनी सरगरमयों मैं मलोस गुण्डा क़रार दे दिया है कौन उस की बे गनाही की गवाही दीने जाएगा। दूसरे शहरों मैं की बड़े बड़े लीडर आ गए। एक बड़ा सा जलोस नकाला गया जिस मैं मसलमानों के ख़लाफ़ सीफ़ अलदीन के ख़लाफ़ और पोलीस के ख़लाफ़ नारे लगाे गए। और पोलीस से मतालबह क्या गया कि फौरन सीफ़ अलदीन को पोटा के तहत गरफ़तार क्या जाए। ‘‘
एक बड़ा सा जलसह हुआ। जिस मैं मसलमानों के ख़लाफ़ खूब ज़हर अगला गया। अनीं मुल्क का दुश्मन क़रार दिया गया। उन को उस मुल्क से मुल्क बदर करने का अज़म क्या गया अालान क्या गया कि मसलमानों का बाईकाट क्या जाए। उन के साथ कोई भी कारोबारी तालुक़ न रखा जाए। उन की दोकानों से न सामान ख़रीदा जाए और न अनीं सामान दिया जाए। उन को न नोकरयां दी जाए और न वह लोग धरना दे कर सड़क पर बैठ गए। और रासतह रोक दया। पोलीस के अाली अफ़सरान भी आ गए। उन्हों ने समझएा पोलीस ने माामलह दरज कर लिया है तहक़ीक़ात की जा रही है गनाह गार के साथ सख़ती से नपटा जाएगा और उस के ख़लाफ़ सख्त कारवाई की जाए गई। आप माहोल ख़वाब न करीं । माामले और न बगाड़ीं । उस की आनच आस पास के गांव मैं भी फील सकती है ‘‘
लेकिन कोई सनने कोतयार नहीं था मजबोरा पोलीस कमशनर ने हकम दिया कि सीफ़ अलदीन और उस तमाम साथयों को गरफ़तार कर लिया जाए।
होटल बनद कर दी गई और उस पर सील लगा दिया गया। पोलीस की उस कारवाई पर जलोस ने फ़ातहानह नारे लगाे और खुशयां मनाई।
हम से जो टकराे गा मटी मैं मल जाएगा
पाकसतान पहनचा दीं गए क़बरसतान पहनचा दीं गए
अमित भाई आगे बड़ो। । । हम तुमहारे साथ हैं ‘‘
जे शरी राम। । । जे बजरंग बली। । । जे भवानी ‘‘
शाम होने से क़बल सारा तमाशह खतुम हो गया। धीरे धीरे दोकानीं खलने लगईं । और जिन्दगई मामोल पर आने लगईं । लोग जो ख़ोफ़ से अपने घरों मैं दबक कर बैठ गए थे। घर के बाहर आने लगए और सड़कों पर जिन्दगई के आसार नमएां हो गए। लोग जगह जगह भीड़ की शक्ल मैं जमा होते और दिन भर के वाक़ाात पर गफ़तगो करने लगते। उसे हैरत उस बात पर थी कि सीफ़ अलदीन को गांव के बचह बचह जानता था वह उसी गांव मैं पला था उस की शराफ़त एमानदारी और भाई चारगई की मिसाल सारा गांव दीता था लेकिन वही गांव वाली उसी सीफ़ अलदीन की बारे मैं तरह तरह की बातीं कर रहे थे।
सीफ़ अलदीन तो बड़ा गुण्डा नकला
अरे सिर्फ़ गुण्डा नहीं मुल्क दुश्मन भी ‘‘
वह पाकिस्तान का एजनट हो गा कोई सोच भी नहीं सकता था ‘‘
कसी भी मुसलमान पर भरोसह नहीं क्या जा सकता पर मुसलमान पाकिस्तान का एजनट है अनडया का दशमन। । । मुल्क का ग़दार ‘‘
अछा हुआ अमित भाई ने उसे पकड़वा दया। वरना किसी दिन हमारे पूरे गांव को अड़ा दीता। ‘‘
अमित भाई की पहूंच बहुत है वह तो कहता है कि उस गांव मैं और भी पाकिस्तानी के एजनट हैं । ‘‘ वह यह बातीं सनता तो उस की आँखों के सामने अनधीरा सा छाने लगता। उसे लग रहा था । । अला रोशनी के लिए क्या फिर तापने के लिए जलएा जाता है लेकिन उस गांव मैं जो अला जलएा जएा रहा है और उस मैं जिस तरह की नफिरत ज़हर भरी लकड़यों का इस्तेमाल क्या जा रहा है ऐसा लगता है सारे गांव को उस मैं भसम करने के लिए उस अला को जलएा जा रहा है

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M.Mubin

303- Classic Plaza, Teen Batti

BHIWANDI- 421 302

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