M.Mubin's Hindi Novel on Background of Gujrat Riot Part 7

गुजरात दंगो की पृष्ट भूमि पर एक रोमान्टिक उपन्यास
अलाव

लेखकः-ःएम.मुबीन

Part 7

दूसरे दिन वह मधू का बे चैनी से इन्तज़ार कर रहा था लेकिन वह काफ़ी ताख़ीर से आई। वह चाहता था मधू कुछ पहले आए ताके वह उस से पूछ सके के कल कोई गड़बड़ तो नहीं हुई। लेकिन दूर से ही मधू ने इशारा कर दिया कि वह ग्लेरी मैं खड़ा न रहे अन्दर चला जाए। बाक़ी बातीं वह फ़ोन पर बता दे गई। मधू के उस इशारे से उस ने अनदाज़ह लगाया कुछ तो भी गड़बड़ है या गड़बड़ होनी है इसलिए वह फौरन अन्दर चला गया। लेकिन उस का दिल न माना। वह खड़की की दराज़ से छुप कर मधू को देखने लगा। मधू बस स्टाप आ कर खड़ी होगई। वह बहुत घबराई हुई थी। बार बार चौंक कर चारों तरफ़ देखने लगती। जैसे उसे किसी का डर हो। उस ने अनदाज़ह लगाया शायद मधू की निगरानी की जा रही है उसी लिए वह इतनी घबराई हुई है इतने मैं बस आ गई और वह बस मैं जा बैठी और बस चली गई।
जलदी से तयार हो कर वह दुकान मैं आया। उसे मधू के फ़ोन का इन्तज़ार था उसे पुरा यक़ीन था मधू उसे फ़ोन करेगीऔर सारी बातीं बताे गई। उसे मधू के फ़ोन का ज्यादा देर इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। शायद मधू ने शहर पहूंचते ही उसे फ़ोन लगाया था
जिम्मी। । । बहुत गड़बड़ होगई है वह हरामी अमित ने ऐसी आग लगाई है कि मैं बता नहीं सकती। उस ने न सिर्फ़ मेरे घर वालों बलकह मोहल्ले और बिरादरी के चंद बड़े लोगों के सामने मुझ पर यह इलज़ाम लगाया है कि मेरे तुम से नाजाज़ तालुक़ात हैं । ‘‘
यह सुन कर उस गुस्से से उस के कान की रगें फूल गईं । मैं ने सब के सामने उन बातों से अनकार िक्या है वह सबोत पेश नहीं कर सका इसलिए सब के सामने उसे ज़लत उठानी पडे। इसलिए वह तलमलएा हुआ है उस ने चीलनज क्या है कि वह हम दोनों को रंगए हाथों पकड़ कर घसीटता हुआ ला कर सब के सामने खड़ा कर देगा। बिरादरी वालों ने कहा है कि उस बात का फैसला वह उस वक़्त करीं गए। लेकिन मेरे म बाप बहुत दुखी हैं । वह बार बार मुझ से कह हैं बीटी तुम ऐसा कोई काम मत करो जिस से बरादरी मैं हमारी पगड़ी अछले। कह कर मधू ख़ामोश होगई।
फिर क्या क्या जाएकाफ़ी देर की ख़ामोशी के बाद उस ने पोछा।
सोचती हूं दो चार दिन हम एक दूसरे से दूर ही रहीं तो बहुतर है फ़ोन पर बातीं कर लिया करीं गए। ‘‘
ठीक है वह बोला। अगर तुम यह मना सब समझती हो तो यह भी कर लीं गए। उस ने कहा दूसरी तरफ़ से मधू ने फ़ोन रख दया।
वह रसयोर रख कर सोचने लगा। एक दिन माामलह यहां तक पहूंचना ही था अगर अमित दरमयान मैं नहीं आता तो शायद उस माामले को यहां तक बरसों लग जाते। लेकिन अमित की वजह से यह माामलह बगड़ गया। अब क्या क्या जाए उस की समझ मैं नहीं आ रहा था वह कोई एक फैसला नहीं करपा रहा था उस वक़्त हालत एसे थे न तो वह मधू को छोड़ कर सकता थ और न अपना सकता था मधू उस की रोह की गहरायों मैं उस हद्द तक बस गई थी कि वह मधू के बग़ीर एक लमहह भी नहीं रह सकता था मधू की भी यह हालत है दोनों के सामने एक ही रासतह। वह गांव छोड़ दीं । कहीं बहुत दूर चले जाईं जहां वह आराम से रह सके। उन के दरमयान कोई दयवार न हो। लेकिन उस का दिल उस के लिए तयार नहीं था
नी जगह जाने के बाद रोज़गार का सब से बड़ा मसलह उस के सामने हो गा। वह ऐसी हालत मैं मशकलात से अपना पीट भर सकता है तो भला मधू का पीट किस तरह पाक सकता है उस क़िस्म का अहम फैसला जज़बात मैं नहीं करना चाहये बहुत सोच समझ कर करना चाहये। ताके आगे कोई तकलीफ़ न हो। देर तक वह उन ही ख़यालों मैं अलझा रहा। जब दिल घबरा गया तो उस रघो से कहा। मैं अभी चोक से आया। ओर टहलता हुआ जावेद के साबर कीफ़े की तरफ़ चाल दया।
आये सरदार जी। क्या बात है ؟ आप उस वक़्त यहां ؟ कुछ बझे बझे से दखाई दे रहे हैं की ग़ुल हुए
ओर की ग़ुल होगई। । । वह लमबी सानस ले कर बोला वही दिल दा माामलह ‘‘
दल दा माामलह। । । की के साथ ؟ ‘‘ उस ने पोछा।
वह। । । मधू के साथ। ‘‘
ओे। । । तो तुम ने मधू के साथ दिल दा माामलह फ़ट क्या ! इतनी जलदी और अब तक मैं नौ बताया भी नहीं । ‘‘
ओर अब बता रहा हूं ना। ‘‘
माालह की हे
अमित भाई पटेल। ‘‘
उस ने एक लफ़्ज़ कहा जसे सुन कर जावेद के चहरे के तासरात भी बदल गए।
मैं यह कहूं गा जिम्मी। । । तुम ने गलत जगह दिल लगाया है जावेद के चहरे पर सनजीदगई के तासरात थे तुम ने नोटया किसी और लड़की से दिल लगाया होता तो उस माामले मैं मैं तुमहारी पोरी पोरी मदद करता। लेकिन मधू के माामलह ऐसा है एक अख़धे के चनगल से मधू को छड़ाना है तुझे पता है । । अमित भाई मधू पर मरता है ओ र मधू उसे घास नहीं डालती है लेकिन उस के बओजोद वह मधू को अपनी मलकीत समझता है और उस के मलकीत की तरफ़ आंख उठाने का मतलब हुआ। । । । । । जावेद रुक गया।
वह बहुत द यर तक उस माामले पर बातीं कर ते रहे। उस ने अपनी और मधू के तालक़ात की सारी बातीं जावेद को बता दीं । सब सनने के बाद जावेद अगर तुम दोनों को उस गांव मैं नहीं रहना है तो उस गांव से भग जा। सारी दुनिया सामने है जो दो महबत करने वाली दलों को पनाह दीने के लिए तयार है लेकिन अगर तुम दोनों को उस गांव मैं रहना है तो फिर एक दूसरे को भूल जा। । । ‘‘
हमैं तो उस गांव मैं रहना है और एक दूसरे को भूल न भी नहीं है ‘‘
मसलहत के तहत समझोतह कर के भी तो इन्सान जी सकता है उस वक़्त जो हालात है उस की बनयाद पर तुम दोनों एक समझोतह कर लो। हम दोनों एक दूसरे को भोलीं गए नहीं । । । एक दूसरे को पहले की तरह चाहते रहीं गए लेकिन एक दूसरे से दूर रहीं गए। । । एक दूसरे से मलीं गए नहीं । । । एक दूसरे की तरफ़ दीखीं गए भी नहीं । ‘‘
मुझे अमित का डर नहीं है अपने हाथों से एक झटके मैं मैं उस की गर्दन तोड़ सकता हूं । लेकिन मुझे डर मधू उस के खानदान उस की बरादरी का है मैं अमित से नहीं डरता। ‘‘
ताक़त की बनयाद पर कोई भी अमित से नहीं डरता है लेकिन उस के शीतानी मनसोबों से ख़ोफ़ खाते हैं । वह जो सामने लड़का बैठा है न वह भी अमित की जान ले सकता है मर मर कर उसे अध मरा कर सकता है लेकिन सीफ़ अलदीन भाई का देखा उस ने क्या हाल क्या। ‘‘
बहुत देर तक व उस माामले मैं बातीं करते रहे। फिर वह यह कह कर आथ गया। देखते हैं हालात का ओनट क्या करोट लेता है उस वक़्त हालात के मताबक़ सोचीं गए क्या करना है ‘‘ अमित किस लिए दुकान पर आया था और उसे क्यों पूछ रहा थाोह दोनों एक दूसरे के रक़ीब थे। अमित उस से अपनी राह से हट जाने के बारे मैं कहने आया हो गा। अच्चा हुआ उस और अमित से सामना नहीं हुआ। वरनह अमित अगर उस से कोई अलटी सीधी बात करता तो उसे खुद पर काबू रखना मुश्किल हो जाता
दिन भर उन ही ख़यालात मैं गज़र गया। मधू का लज से आई और बन उस की तरफ़ दीखे घर चली गई। घर जा कर उस ने उसे फ़ोन क्या तो उस ने मधू को बता दिया अमित आया था उस से मिलने मगर वह मला नहीं ।
मधू ने उसे मशोरह दिया कि जीतना ममकन हो सके अमित से कतराने की कोशिश करो। वह कोई शीर बबर नहीं है जो उसे खाजा ए गा। लेकिन हालात और मसलहत का तक़ाजह यह है कि नज़र अनदाज़ करे। जिल्द कोई न कोई रासतह नकल आए गा। ‘‘
रात मैं अमित फिर आ धमका। ओर सरदार जी कैसे हो अख़बारात पड़ते हो या नहीं ؟ देखा मेरी ताक़त का अनदाज़ह ؟ सीफ़ अलदीन को तबाह व बर्बाद कर दया। जिन्दगई भर वह अब जील की सलाख़ों से बाहर नकल नहीं पायेगा। उस पर इतने अलज़ामात लगा दिए गए हैं कि वह खुद को बीगनाह साबत करते करते उस की उमर खतुम हो जाए गई। वह मुझ से टुकड़ा रहा था । । अमित भाई से। अमित भाई की ताक़त का उसे अनदाज़ह नहीं था बी जे पी वशो हनदो परीशद आर एस एस ، बजरंग दिल यह सब अमित की ताक़त है उन से टकर लीने से मरकज़ी हकोमत भी घबराती है तो भला एक मामोली मुसलमान की ओक़ात क्या ؟ ‘‘
वह रुक कर उस की आँखों मैं देखने लगा।
सीफ़ अलदीन के तो बहुत सारे हमएती थे गांव के चार पाँच सौ मुसलमान उस के साथ थे। की कानगरीसी मसलम लीडर उस के साथ थे फिर भी क्या वह जील जाने बच सका ؟ नहीं बच सका। और तुम तो उस गांव मैं अकीले हो तुमहारी मदद करने तो पंजाब से भी कोई नहीं आने वाला ؟ फिरकस बनयाद पर तुम अमित भाई से टकर लीने चले हो
तुम कहना क्या चाहते हो। । । ؟‘‘ उसे जोश आगया।
एक ही बात। । । मधू का ख़याल अपने दिल से नकाल दो। मधू सिर्फ़ अमित की है और किसी की हो नहीं सकती। कोई उस के बारे मैं सोचने की जरत भी नहीं कर सकता। । । नोजवान हो अकीले हो। । । जवानी मैं किसी न किसी सहारे की ज़रूरत पड़ती है मुझे भी उस बात का अहसास है लेकिन उस सहारे को मधू और उस की जवानी मैं क्यों ढोनढते हो अगर तुम्हें और कोई चाहये तो गांव की जिस लड़की की तरफ़ इशारा कर दो गए उसे ला कर तुमहारे क़दमों मैं डाल दों गा। मुझे पता है तुमहारे चाचा ने उस गांव मैं बहुत मज़ह क्या है मज़ह करने पर मुझे कोई अातराज नहीं है तुम सारे गांव की लड़क्यों के साथ अोरतों के साथ मज़े करो। मुझे कोई अातराज नहीं हो गा। लेकिन मधू की तरफ़ आंख उठा कर भी मत देखना कयोनकह मधू सिर्फ़ मेरी है यह मेरी वारननग है अगर तुम और मधू मुझे साथ साथ दखाई दिए तो मुझ से बुरा कोई नहीं हो गा। कहता वह चला गया।
उस रात वह रात भर नहीं सौ सका। उस का दिल चाह रहा था वह अपने दोनों हाथों से अमित का लगा घोनट कर हमीशह के लिए उस का क़सह ही खतुम कर दे। लेकिन उसे उस तरह मधू नहीं मिलने लगए। उसे जील हो जाए गई। और जब वह जील से बाहर आए गा तो मधू उस का इन्तज़ार करते करते जब पराई हो जाए गई। किसी और की हो जाए गई।
उसे मधू पर ग़सह आ रहा था वह उस की जिन्दगई मैं क्यों आई वह अपनी जिन्दगई मैं बहुत खुश था प्यार की कोनपल उस के दिल मैं नहीं फोटी थी। लेकिन अपने प्यार की चनगारयों से मधू ने उस के वजोद को अला मैं तबदील कर दया। और अब वह उसी अला की आग मैं दहक रहा है उस आग की तपश से मधू भी अछोती नहीं है उस की जिन्दगई भी उस की तपश मैं जहनम बन रही है मधू की महबत प्यार का अला एक ऐसा अला जैसे वह चाह कर भी बझा नहीं सकता। और अब उस अला को रोशन रखने के लिए उसे अपनी जान की बाज़ी लगानी है

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